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सोशल मीडिया
| 2-मिनट में पढ़ें
अणु शक्ति सिंह
@anushakti19.singh
महिला दिवस तो चला गया मगर ख्याल हैं जो जाते नहीं हैं!
भले ही अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस और उससे जुड़े आयोजन समाप्त हो गए हों. महिलाओं से जुड़े लगभग हर एक मुद्दे पर बातें हो गयी हों. लेकिन जब हम सोशल मीडिया का रुख करते हैं तो अब भी ऐसा बहुत कुछ है जिसपर बात होनी चाहिए.
समाज
| 7-मिनट में पढ़ें
prakash kumar jain
@prakash.jain.5688
हर दिन पुरुष दिवस वाले समाज में एक दिन महिला दिवस मनाना हिपोक्रेसी ही तो है!
एक शताब्दी से ज्यादा समय से विमेंस डे मनाया जा रहा है और आज भी जेंडर इक्वलिटी स्वप्न ही है तो कारण एक ही है कि दिवस को सेलिब्रेट नहीं बल्कि एक्सप्लॉइट किया जा रहा है पुरुषों द्वारा जिसमें विमेंस की भी सहभागिता है.
सियासत
| बड़ा आर्टिकल
अशोक भाटिया
भारतीय राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की अभी और जरुरत है
निश्चय ही राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ने से महिला एवं पुरुष दोनों के विकास का एक नया दौर शुरू हुआ है. और इसके परिणाम बेहतर ही होंगे किंतु यह तभी संभव होगा जब एक ओर पुरुष वर्ग व्यापक सामाजिक-राजनीतिक हित में महिला सहभागिता पर गंभीर हो तथा दूसरी ओर देश की महिलाएं अपने राजनीतिक अधिकारों की समता के लिए पुरज़ोर संघर्ष करें.
समाज
| 5-मिनट में पढ़ें
रीवा सिंह
@riwadivya
Women's Day: क्या मां बनना ही एक औरत के लिए औरत होने का पैमाना है?
वर्किंग महिलाएं यूं भी घर को समेटकर बाहर पहुंच रही हैं. इससे उनपर अतिरिक्त दबाव पड़ रहा है, अतिरिक्त ज़िम्मेदारी संभाल रही हैं वो जिसे बांटकर उनका रूटीन सहज किया जा सकता है लेकिन आज दिनभर अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर बधाइयों के ढेर लगाने वाले भी इस ओर कम ही सोचते हैं. पेरेंटहुड को मदरहुड मानकर समाज अपने कार्यभार से मुक्त हो चुका है और औरत का क्या है!
सियासत
| 3-मिनट में पढ़ें
अनु रॉय
@anu.roy.31
Women's Day 2022: महिलाओं के खिलाफ पुरुष ही नहीं, महिलाएं भी लामबंद हैं!
International women's day पर चाहे कितने लम्बे लेख लिख दिए जाएं, कितने ही भाषण कर लिए जाएं जब तक औरतें, औरतों को सपोर्ट नहीं करेंगी हमें कोई जीत हासिल नहीं होने वाली. काश कि औरतें साथ वाली औरतों को आगे लाने में मदद करती न कि उसके बढ़ते कदम को पीछे खींचने की प्लानिंग प्लॉटिंग!
समाज
| 6-मिनट में पढ़ें
सरिता निर्झरा
@sarita.shukla.37
Women's Day 2022: एक महिला का करियर चुनना भी कहां आसान है, हौसले को सलाम बनता है!
भारत में 78. 8 प्रतिशत पुरुषों के मुकाबले मात्र 59. 9 % प्रतिशत महिलाएं शिक्षित हैं. 76 % पुरुषों के सामने मात्र 20 .3 % महिलाएं कामकाजी है. 68% प्रतिशत स्नातक यानि ग्रेजुएट लड़कियां महिलाएं देश के वर्क फ़ोर्स का हिस्सा नहीं है.
समाज
| 5-मिनट में पढ़ें
सरिता निर्झरा
@sarita.shukla.37
Women's Day 2022 : देवी को छोड़िए, वो मनुष्य का दर्जा पाने के लिए युद्धरत है!
Women's Day 2022: इज़्ज़त कोई मुश्किल अष्टांग सूर्यनमस्कार की प्रक्रिया नहीं है, केवल हाव भाव व्यव्हार में इतनी सी बात समझनी है कि स्त्री आप जैसी ही जीती जागती मनुष्य है. महिला दिवस पर कुछ नहीं बस - देवी सा दर्जा नहीं ,स्त्री को मनुष्य रूप में सम्मान दें.
समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
नाज़िश अंसारी
@naaz.ansari.52
सेनेटरी नैपकिन का नाम व्हिस्पर क्यों है? औरतों के मामले फुसफुसाने वाले क्यों हैं?
ऊपरी सुंदरता दिखाने के बजाय अपनी सेहत और शौक़ पर भी पैसे खर्च करें. ना कमा रही हों तो जानिए पति की कमाई आधी आपकी है. बेटे की सारी. बच्चों को पालते हुए उन्हें आत्मनिर्भर बनाएं. परजीवी नहीं. थोड़ा खुदगर्ज़ हो लें. ताकि आपका 'नहीं/हां/मुझे चाहिये' ज़ोर से सुनाई दे. क्योंकि गूगल बाबा कहते हैं, 'बोलने से ही सब होगा'. नॉऊ नो मोर व्हिसपर.
समाज
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बात की बात...
| 7-मिनट में पढ़ें
धीरेंद्र राय
@dhirendra.rai01
पितृसत्ता का सुख भोग रहे पुरुषों, आइये वुमंस डे पर थोड़ा अफसोस करें!
जिस समाज में पुरुषों की इजाजत के बिना पत्ता भी नहीं हिलता, वहां महिलाओं के लिए वुमंस डे के क्या मायने हैं? एक दिन के लिए कर्फ्यू में ढील, या वो भी नहीं?